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#करनाल की GOVT.ITI में एक युवक का #पेपर था,तो गेट पर ही #चेकिंग के दौरान उससे कहा कि "ये #धागा निकाल दो" उसके बाद ही एंट्री मिलेगी।
युवक ने कहा ये धागा नही है "#जनेऊ" है और मैं इसको नही उतारूंगा,आपके जो #बड़े_अधिकारी है उनको बुलाइए उनसे बात करूंगा।
वहाँ पर मौजूद #पुलिस_अधिकारी 👇
ने कहा कि बहस मत करो,#जनेऊ उतार दो।
युवक ने बड़े स्पष्ट शब्दों में उनको कह दिया इस "जनेऊ" के लिए तो "#वीर_हकीकत_राय" ने अपनी #गर्दन #कटवा दी थी तो मेरे लिए पेपर छोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है,"जनेऊ" नहीं उतरेगा चाहे पेपर क्यों न छोड़ना पड़ जाए।
काफ़ी बहस होने के बाद वहाँ "
#सुपरिडेंट" पहुंचे और कहा कि कोई भी #धागा,#ताबीज आदि #Allowed नहीं है।
युवक ने सिर्फ एक बात कही कि अगर कोई "#सरदार_जी" पेपर देने आता है और आप उसकी #पगड़ी खुलवा के भेज देते हो तो मैं सहर्ष "जनेऊ" उतार दूंगा अन्यथा मैं "जनेऊ" नही उतारूंगा।
उनके पास कोई जवाब नही था,,उन्होंने युवक को
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*#जनेऊ क्या है और इसकी क्या महत्वता है?*

*भए कुमार जबहिं सब भ्राता। दीन्ह जनेऊ गुरु पितु माता॥

जनेऊ क्या है : आपने देखा होगा कि बहुत से लोग बाएं कांधे से दाएं बाजू की ओर एक कच्चा धागा लपेटे रहते हैं। इस धागे को जनेऊ कहते हैं। जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है। Image
जनेऊ को संस्कृत भाषा में ‘यज्ञोपवीत’ कहा जाता है।

यह सूत से बना पवित्र धागा होता है, जिसे व्यक्ति बाएं कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। अर्थात इसे गले में इस तरह डाला जाता है कि वह बाएं कंधे के ऊपर रहे।
तीन सूत्र क्यों : जनेऊ में मुख्यरूप से तीन धागे होते हैं। यह तीन सूत्र देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक होते हैं और यह सत्व, रज और तम का प्रतीक है। यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक है।यह तीन आश्रमों का प्रतीक है। संन्यास आश्रम में यज्ञोपवीत को उतार दिया जाता है।
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*#जनेऊ क्या है और #इसकी_क्या_महत्वता है ??
"भए कुमार जबहिं सब भ्राता।
दीन्ह जनेऊ गुरु पितु माता"॥
#जनेऊ_क्या_है : आपने देखा होगा कि बहुत से लोग बाएं कांधे से दाएं बाजू की ओर एक कच्चा धागा लपेटे रहते हैं। इस धागे को जनेऊ कहते हैं।
जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है
#Thread
। जनेऊ को संस्कृत भाषा में ‘यज्ञोपवीत’ कहा जाता है।

यह सूत से बना पवित्र धागा होता है, जिसे व्यक्ति बाएं कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है।
अर्थात इसे गले में इस तरह डाला जाता है कि वह बाएं कंधे के ऊपर रहे।

तीन सूत्र क्यों : जनेऊ में मुख्यरूप से तीन धागे होते हैं।
यह तीन सूत्र देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक होते हैं और यह सत्व, रज और तम का प्रतीक है।
यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक है।यह तीन आश्रमों का प्रतीक है।
संन्यास आश्रम में यज्ञोपवीत को उतार दिया जाता है।

नौ तार : यज्ञोपवीत के एक-एक तार में तीन-तीन तार होते हैं।
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जब भी कोई #चोटी और #जनेऊ को देखता है तो उनके मन में एक धारणा होती है कि ये #ब्राह्मण है!और कई तो पूछ भी लेते है कि आप ब्राह्मण हो क्या?

*लेकिन उन्हें जब पता चलता है कि ये #जाट #रोड़ #गुर्जर #यदुवंशी #बनिया #क्षत्रिय #वाल्मीकि #वनवासी हैं तो वो पूछते हैं कि दूसरे कास्ट होकर 👇
#चोटी क्यों रखते हो?*

*अब यहाँ एक सवाल खड़ा होता है!*

*क्या आप कभी किसी #सरदार_जी से पूछते हो कि #पगड़ी क्यों बांधते हो?*

*किसी #मौलाना_जी से पूछते हो #गोल टोपी क्यों पहनते हो?*

*किसी #ईसाई से पूछते हो यीशु का #लोकेट क्यों पहनते हो?*

*सोच विचार कर देखिए आज कितने #हिन्दू👇
चोटी रखते हैं?
*कितने #जनेऊ पहनते हैं?

*कितने* *#वेद,#शास्त्र,#उपनिषद,#दर्शन,#रामायण,#महाभारत, #सत्यार्थ_प्रकाश #गीता आदि ग्रन्थ पढ़ते हैं?

*हमारे #पतन का कारण हम स्वयं है!
*समाज में मुश्किल से कुछ प्रतिशत लोग है जो अपनी पहचान बनाए हुए है! उन्हें भी लोग अलग ही नजरिए से देखते है
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