Discover and read the best of Twitter Threads about #PSBsNot4Sale

Most recents (8)

कहानी थ्रेड : #शापित_राजा

एक बार की बात है। भयंकर सूखा पड़ा। मानसरोवर झील पूरी तरह सूख गई। वहां रहने वाले हंसों के लिए जीवन का संकट खड़ा हो गया। हंसों ने निश्चय किया कि दक्षिण की तरफ जाएंगे। हंस अपने बच्चों को लेकर अस्थायी आवास की खोज में दक्षिण की तरफ बढ़ चले।
लेकिन हंसों के बच्चे छोटे थे, तो ज्यादा नहीं उड़ पाए और थक गए। रास्ते में एक राज्य पड़ता था। हंसों के निर्णय लिया कि बच्चों को वहीं छोड़ दिया जाए। हंस उस राज्य के राजा के पास पहुंचे और अपनी समस्या बताई। कहा कि, आप कुछ दिन हमारे बच्चों की देखभाल कीजिये।
जब वर्षा होगी तो मानसरोवर झील दोबारा भर जाएगी तब हम अपने बच्चों को ले जाएंगे।राजा मान गया। आश्वासन पाकर हंस अपने बच्चों को वहीं छोड़कर उड़ गए। राजा ने हंसों के बच्चों की जिम्मेदारी माली को देदी। राजा के साथ दो समस्याएं थीं। एक तो राजा को कोढ़ की बीमारी थी जिससे वो बाद परेशान था।
Read 11 tweets
शार्ट थ्रेड: निजीकरण

एक बार गांव में सूखा पड़ा। तो लोग गए सरकार के पास, कि "भाई तुम्हारे पास तो हर मर्ज़ की दवा है।"
सरकार बोली, "आओ कुआँ खोदते हैं।"
लेकिन किधर है पानी? पानी किधर है? ये रहा पानी राम के घर।

#StopPrivatisation
#StopSellingIndia
#PSBsNot4Sale
"हाँ तो भाई राम, अपनी ज़मीन में कुआँ तो खोदने दो, गांव वाले प्यासे हैं।"
राम बोला "ठीक है, हम गाँव वाले मिलकर कुआँ खोदते हैं।"

#StopPrivatisation
#StopSellingIndia
#PSBsNot4Sale
#StopPrivatizationOfPSBs
सरकार ने कहा "नहीं, तुम लोग Inefficient और Lethargic हो। तुम कुआँ खोदोगे तो पानी गांव वाले प्यासे मर जाएंगे। और फिर हो सकता है तुम कुआँ कूदने के बाद पानी भी बर्बाद करो। तुमको नहीं पता कि जमीन में पानी कम होता जा रहा है?"

#StopPrivatisation
#StopSellingIndia
#PSBsNot4Sale
Read 8 tweets
थ्रेड:#सर्कस_का_शेर

#StopPrivatizationOfPSBs

सरकारी नीतियों (पॉलिसी) का उद्देश्य अर्थव्यस्था और समाज में सुधार लाना होता है। सरकार नीति बनाती है और फिर उसे लागू करती है। नीतियां लागू करने के कई तरीके हैं। इनमें से दो तरीकों के बारे में आज बात करेंगे।
पहला है कैफेटेरिया एप्रोच और दूसरा है टारगेट बेस्ड एप्रोच। जैसा कि नाम से ही समझ आता है, कैफेटेरिया एप्रोच में पब्लिक को विकल्प दिए जाते हैं और उनमें से एक विकल्प को अपनाना होता है। इस तरीके में ये माना जाता है कि जनता समझदार होती है और अपना भला बुरा समझ सकती है।
दूसरा तरीका जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, थोड़ा स्ट्रैट फॉरवर्ड है। यानी अधिकारियों को पॉलिसी इम्प्लीमेंटेशन के लिए टारगेट दे दिए जाते हैं और साथ में दे दी जाती है पावर। उन्हें किसी भी हालत में तय समय में रिजल्ट देना होता है।
#StopPrivatizationOfPSBs
#StopPrivatizationOfPSBs
Read 18 tweets
थ्रेड : #कॉर्पोरेट_गवर्नेंस

1990 के दशक के शुरुआत में लंदन में कुछ कंपनियों में बड़े घपले हुए। इनके नेपथ्य में था 1979 में मार्गरेट थेचर के नेतृत्व में शुरू हुआ निजीकरण का दौर (ब्रिटेन के निजीकरण के बारे में किसी और दिन बात करेंगे)।
दरअसल 1980 के दशक में निजी कंपनियों में दूसरी कंपनियों के अधिग्रहण की जबरदस्त होड़ मची। पैरेंट कंपनियां खूब उधार लेकर दूसरी कंपनियों को खरीद रही थी। इससे कंपनियों के ऊपर बहुत कर्ज बढ़ गया था। ऐसी ही एक कंपनी थी मैक्सवेल कम्युनिकेशन्स।
इस कंपनी ने अपने कर्मचारियों के पेंशन फंड्स में सेंध लगा कर अधिग्रहण के लिए फंड्स जुटाए थे। कुछ ही सालों में कंपनी पर कर्ज इतना बढ़ गया कि 1992 में कंपनी ने बैंकरप्सी फाइल कर दी। उसी साल इंग्लैंड की ही Bank of Credit and Commerce International (BCCI) भी डूब गई।
Read 15 tweets
थ्रेड: #एफ्फिसिएंट_सरकार

एक बात तो माननी पड़ेगी। ये सरकार एफिशिएंट तो बहुत है। और ये बात मैं साबित कर सकता हूँ। पिछली सरकारें बेवकूफ थीं। कभी गरीबी मिटाओ, कभी घर बनाओ, कभी रोजगार दिलाओ, कभी भुखमरी हटाओ, ये सब छोटी छोटी योजनाओं पे काम करती थी।
और फिर हर पांच साल बाद अपना काम लेकर पब्लिक के पास जाती थी "भाई हमारा काम देखो और हमें वोट दो"। बीच बीच में जाति और धर्म का तड़का भी लगता था मगर वो भी छोटे लेवल पर। नयी सरकार को समझ आ गया कि ये तरीका एफ्फिसिएंट नहीं है।
पहले तो योजनाएं बनाओं, फिर लागू करवाओ। अब इतना काम करो, फिर उसे लेकर पब्लिक के पास जाओ। और उसके बाद भी कोई गारंटी नहीं है कि आपको वोट मिल ही जाएगा। और वैसे भी योजनाएं छोटी हैं तो करप्शन भी छोटा ही होगा। इतनी मेहनत करो और न सत्ता मिले और पैसा भी कोई ज्यादा नहीं।
Read 15 tweets
थ्रेड: #हमारे_सरकारी_बैंक

पार्ट 2: सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया

आज एक ऐसे बैंक के बारे में बात करते हैं जो शायद शीघ्र ही इतिहास के हवाले कर दिया जाएगा।

कहा जाता है गुलाम भारत ब्रिटिश साम्राज्य के ताज का हीरा था।
इस हीरे को पकडे रखने के लिए अंग्रेजों के लिए ये ज़रूरी था कि भारत को अविकसित ही रखा जाए। इसके लिए उन्होंने हर संभव कोशिश की कि भारत में उद्योगों पर पूरी तरह से अंग्रेजों का ही कब्ज़ा रहे। इसके लिए भारतीय उद्योगों के प्रति भेदभावपूर्ण नीति अपनाई गई, और उसी का भाग था बैंकिंग।
प्रथम विश्वयुद्ध से पहले सारे बैंक अंग्रेजों के ही अधिकार में थे। ये सिर्फ सरकार के इशारे पे ही चलते थे। भारतीय इस बात को बखूबी समझते थे कि बिना सम्पूर्ण भारतीय बैंक के स्वदेशी और स्वराज्य का सपना पूरा नहीं हो सकता। मगर भारतीयों को आधुनिक बैंकिंग का अधिक अनुभव नहीं था।
Read 15 tweets
यदि Privatisation अच्छा होता तो
Government बैंकों से ज्यादा भीड़ Private बैंको में होती !!

यदि privatisation अच्छा होता तो
रोडवेज बस ज्यादा लोग Private बस में चलना पसन्द करते !!

यदि Privatisation अच्छा होता तो
Government Hospital से ज्यादा भीड़ Private Hospital में होती !!
यदि Privatisation अच्छा होता तो
लाखों Students "NEET_IITJEE" की तैयारी न करते सीधे Private College में Addmission लेते !

यदि Privatisation अच्छा होता तो
लोग GOVT job छोड़कर Private job करते !!

#StopPrivatizationOfBank
यदि Privatisation अच्छा होता तो
जवाहर नवोदय विद्यालय , केंद्रीय विद्यालयों का result Private School से अच्छा नही होता !!

Privatisation के बाद 👇👇🤔🤔🤔

क्या Private Company अपने किसी कर्मचारी को महंगाई बढ़ने के साथ साथ सैलरी बढ़ाएगी !

#PSBsNot4Sale
Read 5 tweets
थ्रेड: #नाच_मेरी_बुलबुल

बैंक नीलाम हो रहे हैं। साथ में नीलाम हो रहा है बैंक कर्मचारियों का भविष्य और ग्राहकों का विश्वास। जनता तो अभी रिंकू और दिशा में व्यस्त है। उनको ज्यादा पता नहीं। जिस मीडिया पर जनता को सच्चाई बताने का जिम्मा है वो तो खुद पासबुक लेके प्रिंट कराने घूम रहा है।
बैंकरों को लग रहा है कि सरकार ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए ये एकतरफा फैसला लिया है। मैं इस बात से पूरी तरह सहमत नहीं हूँ। रवैया तो तानाशाही है मगर फैसला एक तरफ़ा नहीं है। इस फैसले में सब मिले हुए हैं।
लोकतंत्र में संतुलन बनाये रखने वाला विपक्ष भी और स्वयं को बैंकरों का मसीहा मानने वाले बैंक यूनियन भी। विपक्ष इसलिए क्यूंकि चुनाव लड़ने के लिए इनको भी तो पैसा चाहिए। और चार राज्यों में चुनाव आ ही रहे हैं। और अभी पुदुच्चेरी में भी इनकी सरकार डांवाडोल है।
Read 9 tweets

Related hashtags

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3.00/month or $30.00/year) and get exclusive features!

Become Premium

Too expensive? Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal Become our Patreon

Thank you for your support!