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👉🏾बहराइच के गाजी बाबा के मजार पर मेला लगना शुरू हो गया (13 मई या 19 मई)
लोग अपनी-अपनी मनोकामनाएं लेकर इस जगह आएंगे बगैर ये जाने की गाजी बाबा तो खुद ही अपनी अधूरी मनोकामना लेकर अल्लाह को प्यारे हो गये थे.😜

#गाजी में आस्था रखने वाले मुस्लिमों से हमें कोई शिकायत नहीं,
@SakshamGV👇🏾 Image
उनको रखनी भी चाहिए क्योंकि सैय्यद सलाउद्दीन सालार गाजी जो कि मुहम्मद गोरी का मामा था, उसने भारत के एक लाख हिन्दुओं का सर काटने की प्रतिज्ञा लेकर अपनी तलवार को तब तक मयान में न रखने की #कसम खाइ थी जब तक एक लाख सर न कटते..

बुद्धिमान गाजी बाबा ने अपने सेना के आगे गाय रखकर लड़ने👇🏾
की रणनीति अपनाई थी नतीजा #हिंदू राजा और #सैनिक तीर या भाले से हमले नहीं करते थे और गाजी बाबा ने हंसी-खुशी तीस हजार हिंदुओं का सर काट लिया,, लेकिन इसी #सावन के महीने में गाजी बाबा ने शिवभग्त #सुहेलदेव सिंह बैंस के राज्य को भी निपटाने की कोशिश की..
#सुहेलदेव जी को गाजी बाबा की👇🏾👇🏾
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#सावन में एक कहानी सुनें

गायत्री बाबा प्रतिदिन सरयू स्नान के लिए जाया करते थे। मार्ग में एक गाँव पड़ता था। ब्राह्मण और क्षत्रिय कृषक लोग उसमें रहा करते थे। जिस रास्ते से गायत्री बाबा जाया करते थे, उसमें एक विधवा ब्राह्मणी की भी झोंपड़ी पड़ती थी। महामुनि जब भी उधर से +
निकलते विधवा या तो चरखा कातते मिलती या धान कूटते।

पूछने पर पता चला कि उसके पति के अतिरिक्त घर में आजीविका चलाने वाला और कोई नहीं था। वे किसी बंगालन जादूगरनी के पीछे प्राण गंवा बैठे और अब सारे परिवार का भरण-पोषण उसी को करना पड़ता है। एक ही पुत्र है, वह अभी अबोध है। +
अतीव वृद्धावस्था के सास-ससुर की सेवा सुश्रुषा की महती जिम्मेदारी भी है।

गायत्री बाबा को उसकी इस अवस्था पर बड़ी दया आई। उन्होंने उसके पास जाकर कहा,
"भद्रे! मैं इस आश्रम का अध्यक्ष हूँ। मेरे कई शिष्य राज-परिवारों से संबंध रखते हैं, तुम चाहो तो तुम्हारे लिए आजीविका की +
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समुद्र-मंथन के समय समुद्र से पहले-पहल `हालाहल` नाम का अत्यंत उग्र विष निकला, जिसकी ज्वालाओं से तीनों लोक जलने लगे । देवता और असुर अपनी चेतना खोने लगे । सर्वत्र हाहाकार मच गया । किसी में भी ऐसा सामर्थ्य न था कि विष की ज्वाला शांत कर सके। #श्रावण #सोमवार #सावन #सावन_मास
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उस असह्य विष से बचने का कोई उपाय भी तो न था ।भयभीत हो कर सम्पूर्ण प्रजा और प्रजापति भगवान सदाशिव की शरण में गए । प्रजा का यह संकट देखकर `सर्वभूतसुहृद् `शिव ने संसार पर महान अनुग्रह किया और हलाहल पान करना स्वीकार कर लिया । उस समय शिव ने पार्वती से कहा कि,
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#सावन #सावन_सोमवार
अहो बत भवान्येतत् प्रजानां पश्य वैशसम्
क्षीरोदमथनोद्भूतात् काळकूटादुपस्थितम् ।
आसां प्राणपरीप्सुनाम् विधेयमभयं हि मे ।
एतावान्हि प्रभोरर्थो यद् दीनपरिपालनम् ।

— श्रीमद्भागवत महापुराण 8 7 37 -38
अर्थात् हे देवि, समुद्र-मंथन से निकले कालकूट
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#सावन
#सावन_सोमवार #सावन_मास
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The auspicious month of Shravan dedicated to Lord Shiva.

Devotees keep a vrat(fast), perform austerities and do puja of Bholenath on Mondays.

Girls get a husband of their choice by keeping a vrat on Mondays for 16 weeks.

#हर_हर_महादेव
#sawan2020
#सावन
#भोलेनाथ
#ॐ_नमः_शिवाय
Benefits of keeping a vrat on Shravan Somwar

1) Since the month of Shravan is associated with the Samudra Manthan chapter mentioned in the ancient sacred texts, devotees express their gratitude to Lord Shiva by taking part in Kanwar Yatras.
They offer Gangajal to Lord Shiva to help him heal after he drank poison to save humanity. Therefore, by keeping a fast on Mondays, devotees please Lord Shiva to seek his countless blessings.
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