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#कहानी 1976 में शुरू हुई..
फ़िल्म निर्माता-निर्देशक रामानंद सागर अपनी फिल्म 'चरस' की शूटिंग के लिए स्विट्जरलैंड गए। एक शाम वे पब में बैठे और रेड वाइन ऑर्डर की। वेटर ने वाइन के साथ एक बड़ा सा लकड़ी का बॉक्स टेबल पर रख दिया। रामानंद ने कौतुहल से इस बॉक्स की ओर देखा।
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वेटर ने शटर हटाया और उसमें रखा टीवी ऑन किया। रामानंद सागर चकित हो गए क्योंकि जीवन मे पहली बार उन्होंने रंगीन टीवी देखा था। इसके पांच मिनट बाद वे निर्णय ले चुके थे कि अब सिनेमा छोड़ देंगे और अब उनका उद्देश्य प्रभु राम, कृष्ण और माँ दुर्गा की कहानियों को टेलेविजन के
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माध्यम से लोगों को दिखाना होगा।
भारत मे टीवी 1959 में शुरू हुआ। तब इसे टेलीविजन इंडिया कहा जाता था। बहुत ही कम लोगों तक इसकी पहुंच थी। 1975 में इसे नया नाम मिला दूरदर्शन। तब तक ये दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता तक सीमित था, जब तक कि 1982 में एशियाड खेलों का प्रसारण
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#कहानी काफल की:
चार धाम यात्रा शुरू हो चुकी है,अब देश विदेश से यात्री इस यात्रा के लिए उत्तराखंड आयेंगे तो आप सब से निवेदन है कि पहाड़ों में जहा भी आपको ये काफल का फल बिकता दिखे,इसे अवश्य खरीदे।
विटामिनों की प्रचूरता एवम फाइबर युक्त होने के कारण डाक्टर भी इसको खाने की सलाह
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दे रहे हैं,इसके बारे में एक कहानी बचपन में सुनी थी सायद पहाड़ों में रहने वाले सब ने सुनी होगी काफी समय पहले यात्रियों की बस चार धाम यात्रा पर निकली थी पहाड़ पर एक जगह ड्राइवर ने बस रोक कर यात्रियों से कहा कि चाय नाश्ता कर लो फिर चलते हैं वही पर एक व्यक्ति ये फल बेच रहा था पहली
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बार ये फल देख कर एक यात्री ने जिज्ञासावस पूछा ई का फल है भैया तो विक्रेता ने कहा हां जी काफल है यात्री ने फिर पूछा ई का फल है ? दुकानदार बोला काफल है बस फिर क्या लड़ाई सुरु हो गई तो अन्य लोग भी आ गए कि क्या हो गया यात्री ने अपने सह यात्रियों को बोला कि में इनसे पूछ रहा कि ई का
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#कहानी: आज और कल

बहुत समय पहले की बात है. एक गाँव में एक ज्योतिषी रहा करता था. उसका विश्वास था कि वह तारों को देखकर भविष्य पढ़ सकता है. इसलिए वह सारी-सारी रात आसमान को ताकता रहता था. गाँव वालों के सामने भी वह अपनी इस विद्या के बारे में ढींगे हांका करता था.

एक शाम वह गाँव की👇
कच्ची सड़क पर पैदल चलता हुआ अपने घर की ओर जा रहा है. उसकी नज़रें आसमान पर चमकते तारों पर जमी हुई थी. वह तारों को देखकर आने वाले समय में क्या छुपा है, यह पढ़ने की कोशिश कर रहा था.तभी अचानक उसका पैर कीचड़ से भरे एक गड्ढे पर पड़ा और वह गड्ढे में जा गिरा.

वह कीचड़ में लथपथ हो गया और
किसी तरह गड्ढे से बाहर निकलने के लिए हाथ-पैर मारने लगा. लेकिन एड़ी-चोटी का जोर लगाने के बाद भी वह गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाया. सारी कोशिश बेकार जाती देख वह सहायता के लिए चिल्लाने लगा.

उसकी चिल्लाने की आवाज़ सुन कुछ लोग दौड़े चले आये. उन्होंने उसे गड्ढे में गिरे देखा, तो समझ गए
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तासीर मोहम्मद रसूख वाले आदमी थे। मजहब में उनकी चर्चा थी..
जलसा हो या मज़लिस, हर जगह उनकी धाक होती थी।
पैसे वाले भी थे। इकलौते बेटे का निकाह था।
पूरा मजमा गया था बारात में,...

नब्बे के दशक की कहानी है।
तब बरात या तो पैदल या तो साइकिल से जाती थी!
रसूख वालों की बारातें बसों...
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में जाया करती थी....

बारात भिंड से चलकर मुरैना आई थी...
भाईजान का निकाह था।
*बिल्कुल "अज़ीम ओ शान शहंशाह" मरहबा वाला माहौल था..*
तो मुर्ग, मुसल्लम और सालन में कोई कमी न थी!!!

अब मियां, भाई के निकाह में दही-चूरा तो चलेगा नहीं।

दुर्भाग्यवश उस बरात में एक "पंडित" जी भी शामिल
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थे। जनेऊधारी। टीका धारी।
*पंडित जी जो नॉनवेज खाना तो दूर, उसकी महक भी नहीं लिए होंगे जीवन में कभी...*

हालांकि वह बिना निमंत्रण आए थे। मजबूरी में आए थे।

अपनी रोजी रोटी के चक्कर में बारात लेकर आए  थे। उस बस के ड्राइवर थे
*जिस बस में नब्बे मोमिन सवार होकर बरात आए थे..*
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#कहानी
एक बुढ़िया ने हाथ आटा चक्की खुटवाने वाले एक कारीगर को बुलाया।
"देख भाई जानता तो है ना? ये पड़ी चक्की इसे ठीक कर दे, बस आज लायक दलिया बचा वो चूल्हे पर चढ़ा दिया तू इसे ठीक कर मै जितने कुए से मटकी भर लाती हूँ।"
"ठीक है अम्मा चिंता मत कर मेरी कारीगरी के 7 गाँवों में चर्चे, चक्की ऐसी खोटूंगा की आटा पीसेगी और मैदा निकलगी और चूल्हे पर चढ़ा तेरा दलिया भी सम्भाल लूंगा।"
बुढ़िया आश्वस्त हो कुए को निकल ली और कारीगर चक्की की खुटाई करने लगा।
अचानक कारीगर के हत्थे से निकल हथौड़ी उछल चूल्हे के ऊपर लटकी घी की बिलोनो पर पड़ी, घी सहित बिलोनी चूल्हे पर चढ़ी दलिये की हांडी पर पड़ गई 😥
कारीगर हड़बड़ा गया और हड़बड़ाहट मे चक्की का पाट भी टूट गया।
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डा. #आंबेडकर के साथ #भेदभाव और अन्याय आखिर किसने और कब किया था? भेदभाव की #कहानी किसने #गढ़ा??
डा. आंबेडकर के बारे में अक्सर कहा जाता है कि- उनके साथ भेदभाव और अन्याय किया जाता था? Image
उनके ऊपर अध्ययन करने पर तो मुझे आजतक ऐसा कुछ नहीं मिला, जिससे पता चले कि किसी ने उनके साथ भेदभाव या अन्याय किया हो। यदि आप में से किसी के पास इस सम्बन्ध में कोई जानकारी हो तो बताने की कृपा करें।
उनके बारे में पढने पर पता चलता है कि - उनके साथ अगर जीवन में किसी ने अन्याय किया तो वो उनके पिता रामजी सकपाल ने किया था। जिसने 14 बच्चो का बाप होते हुए दूसरी शादी की और दुसरी बीबी के चक्कर में अपने बच्चों को छोड़ दिया।
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